कोई कांग्रेसी वोट मांगने आये तो उससे ये प्रश्न अवश्य पूछना —
- जो कल तक जीएसटी और इनकम टैक्स को लूट बता रहे थे, आज वो ineheritence tax मतलब सम्पत्ति लूटने को रेवल्यूशनरी कदम क्यूँ बता रहे हैं,
- जहां पे तुम्हारा शाही नेहरु खानदान हुकुमत करता रहा दशकों तक अमेठी और रायबरेली वो क्षेत्र इतने पिछड़े और कंगाल कैसे रहे 2014 तक
- सर्वोच्च न्यायालय में 28 वकील क्यूँ उतारे थे कांग्रेस ने राम मन्दिर का निर्माण रोकने के लिए
- देश पे 60 साल हुकुमत करने के बाद भी चीन की सीमाओं तक एक भी अच्छी सड़क क्यूँ नहीं बनायी ; एक भी विमान अड्डा क्यूँ नहीं बनाया कांग्रेस ने
- 2004 से 2009 तक कांग्रेस ने कारगिल विजय दिवस मनाने पर प्रतिबंध क्यूँ लगा रखा था और इसे भाजपा का नाटक कहती थी
- वायुसेना के बार बार शिकायत करने पर भी विमानों की कमी पर ध्यान नहीं दिया नेहरु से लेके राजीव ने फिर मनमोहन ने
- 1993 मुंबई बम धमाकों के बाद जब राष्ट्रिय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल विदेशों के लिए रवाना हो रहे थे माफियाओं को निपटाने के लिए तो एअरपोर्ट पे ही उन्हे गिरफ्तार क्यूँ कर लिया था कांग्रेस ने
- 1950 क समय जब नेपाल और भूटान दोनो भारत में विलय होना चाहते थे तो लेहरू ने क्यूँ नहीं होने दिया
- 2014 तक सारी टेलीकॉम कंपनीयां चोर थीं, बिना बात के हर दिन पैसा काट लेती थीं, टैक्स के नाम बहुत सारा पैसा काट लेती थीं । मोदी जी के आने के बाद सारी लूट बन्द कैसे हो गयी।
- जब तक ब्रिटिश कांग्रेस मजबूत थी तब तक पोर्किस्तान मजबूत था; जैसे जैसे कांग्रेस कंगाल होती गयी पोर्किस्तान भी डूबता चला गया
- कांग्रेस राज में पश्चिमी देश हर बात मे धमकाते थे। अब क्यूँ नहीं होता एसा
- कांग्रेस राज में मिग इत्यादि जितने भी विमान गिरते थे उनकी जांच क्यूँ नहीं होती थी
- बिना पोस्ट मोर्टम के शास्त्री जी का अंतिम संस्कार क्यूँ किया गया और उनका पर्सनल डॉक्टर और सेक्रेटरी दिल्ली मे सड़क दुर्घटना में किसके द्वारा मारे गये और सारे केस क्यूँ दबा दिये गये
- 1962 मे पूरे देश की जनता का पैसा और सोना मांग के इकट्ठा किया था नेहरु ने; फिर भी हम युद्ध क्यूँ हार गये और वो सारा धन कहां गया
- गांधी की हत्या के ऊपर कपूर कमीशन की रिपोर्ट को किसने दबाया
- सुभाषचंद्र बोस ने देश की जनता से जो सोना और धन इकट्ठा किया था वो नेहरु ने अपने कब्जे मे लेने के बाद उसका क्या किया
- कांग्रेस के वकील हमेशा आतंकियों नक्सलीयों को बचाने के लिए केस क्यूँ लड़ते आये हैं आज तक
- जयपुर राज घराने के किलों से जो 5 ट्रक भर के सोना निकला था उसका क्या किया इन्दिरा गधी ने
- कांग्रेस राज मे पोर्किस्तान से बेशुमार नकली नोट छपके क्यूँ आते थे
- जब पोर्किस्तान हमसे कोई युद्ध जीता ही नहीं आज तक तो POK उसके कब्जे मे कैसे चला गया
- चन्द्रशेखर आजाद के एनकाउंटर का रहस्य और सुभाषचंद्र बोस के लापता होने का रहस्य पूछना कांग्रेस से
- 1965 और 1971 मे पोर्किस्तान से सारे जीते हुए क्षेत्र बिना शर्त वापस क्यूँ लौटाए इन्दिरा ने
- 1955 से 1961 तक किसके कहने पे लेहरू चाचा चीनी सेना को राशन भेजते रहे
- अपनी मृत्यु से पहले अम्बेडकर ने जो इंटरव्यू दिया था बीबीसी वर्ल्ड को जिसमे ऊन्होने गांधी नेहरु की पोल खोल दी थी; उसे किसने दबाया
- 1999 कन्धार विमान अपहरण मे विमान में शामिल बधकों मे वो कौनसा विदेशी यात्री शामिल था जो कांग्रेस और पोर्किस्तान दोनो को नकली नोट छापने के कागज़ बेचता था जिसको छुड़वाने के लिए मसूद अज़हर को छोड़ने के लिए कांग्रेस ने दबाव डाला था
- दुनिया का हर आतंकवादी हर नक्सलवादी हर खालिस्तानी केवल भाजपा के नेताओं को ही क्यूँ मारना चाहता है ।
एक तो मुझे ये नेहरु खानदान की क़ुरबानी वाला concept समझ नहीं आता.
कोई भी चुनाव हो… नेहरु खानदान के पप्पू और पिंकी यही गाते हैं कि हमारी दादी ने देश के लिए क़ुरबानी दी, हमारे पापा ने देश के लिए क़ुरबानी दी.
अरे भैया कौन सी क़ुरबानी… ??
पंजाब में सब सही चल रहा था…. अकाली दल को रोकने के लिए इंदिरा गाँधी एक Alternative ढूंढ रही थी… फिर उन्होने भिंडरावाला पाला…
फिर उसे मरवाने के लिए स्वर्ण मंदिर पर चढ़ाई कर दी… बाद में इस घटना का बदला लेने के लिए अंगरक्षकों ने इंदिरा गाँधी को मार दिया.
यह कोई क़ुरबानी थी क्या…..
अपने कुकर्मो के कारण हत्या हो जाना देश के लिए क़ुरबानी नहीं होती.
रही बात राजीव गाँधी की… तो वह अपने और अपनी माँ द्वारा किये गए adventure के शिकार हुए.
वैसे तो श्रीलंका में आजादी के बाद से ही तमिल और स्थानीय आबादी सिंहली लोगों के बीच द्वन्द शुरू हो गया था… 70 के दशक में यह और भी उग्र हो गया… और फिर प्रभाकरण ने LTTE बनाया.
Cold war का जमाना था… भारत जहाँ सोवियत के खेमे में था… श्रीलंका अमेरिका के करीब था…. ऐसे में इंदिरा गाँधी को लगा कि वह तमिल और सिंहली लोगों के इस मुद्दे को सुलझा कर इस क्षेत्र में बढ़त हासिल कर सकती हैं.
इसीलिए उन्होंने श्रीलंका सरकार और LTTE के बीच मध्यस्थता की… और भूटान की राजधानी में दोनों पक्ष के बीच बातचीत शुरू करवाई.
अब यहाँ इंदिरा गाँधी खेल कर गई…. तमिलनाडु की कुछ पार्टियों को खुश करने और खुद की महत्वकांक्षा को पूरा करने के लिए उन्होंने LTTE के लड़ाकों को Training देना शुरू कर दिया। प्रभाकरण बाकायदा RAW के अफसरों के साथ घूमता था….. मैंने कहीं पढ़ा था कि वह महू के आर्मी training center भी गया था.
यह 80 के दशक के शुरुआत की बात है…. LTTE दिन प्रतिदिन घातक होता चला गया… .क्यूंकि उन्हें आर्मी Grade training और Weapons दिए जा रहे थे.
राजीव गाँधी ने श्रीलंका सरकार और LTTE के बीच बात करवाई…. पर बात बनी नहीं. LTTE को लगने लगा था कि राजीव गाँधी उनके साथ game कर रहे हैं.
राजीव गाँधी ने Peace Keeping Force भेज दी… बिना किसी तैयारी के… कश्मीर के पहाड़ो पर तैनात units को रातो रात श्रीलंका के जंगलो में deploy किया गया….. हमारे 1165 सैनिक मारे गए थे इस पूरी प्रक्रिया में.
और इसके बाद तो LTTE और भारतीय सरकार के रिश्ते बेहद ख़राब हो गए थे…. जिसकी परिणीति राजीव गाँधी की हत्या हुइ, क्या यह देश के लिए क़ुरबानी थी ?
आतंकियों नक्सलीयों खालिस्तानीयों माओवादियों की फाँसी और एनकाउंटर पर भारत की सारी देशद्रोही विपक्षी पार्टियों के कुत्ते ऐसे दहाड़े मार-मार के रोते हैं कि आतंकियों नक्सलियों का बाप भी सोच में पड़ जाता है कि लड़का मेरा मरा है या इनका
विचार करें और उत्तर मांगें कांग्रेस से !
अंबेडकरवाद किसके विरुद्ध बना ? – ब्रिटिश काँग्रेस
समाजवाद किसके विरुद्ध बना ? – ब्रिटिश काँग्रेस
लोहियावाद किसके विरुद्ध बना ? – ब्रिटिश काँग्रेस
वामपंथवाद किसके विरुद्ध बना ? – ब्रिटिश काँग्रेस
नक्सलवाद किसकी विरुद्ध बना ? – ब्रिटिश कौंग्रेस
बहुजनवाद किसके विरुद्ध बना ? – ब्रिटिश काँग्रेस
माओवाद किसके विरुद्ध बना ? – ब्रिटिश कांग्रेस
जनता दल किसके विरुद्ध बना ? – ब्रिटिश काँग्रेस
एनसीपी किसके विरुद्ध बना ? – ब्रिटिश काँग्रेस
अन्नावाद किसके विरुद्ध बना ? – ब्रिटिश काँग्रेस
आप पार्टी किसके विरुद्ध बनी ? – ब्रिटिश काँग्रेस
तृणमूल किसके विरुद्ध बना ? – ब्रिटिश काँग्रेस
अकाली दल किसके विरुद्ध बना ? – ब्रिटिश कौंग्रेस
शिवसेना किसके विरुद्ध बना ? – ब्रिटिश कौंग्रेस
द्रविड़ पार्टियां किसके विरुद्ध बनी ? – ब्रिटिश कौंग्रेस
और आज सारे कथित “वाद” उसी ब्रिटिश काँग्रेस की गोद में बैठ रहे हैं जिसके विरुद्ध लड़ने के लिये उनकी स्थापना हुई थी।
🤣🤣🤣🤣🤣
मेरे हिसाब से ब्रिटिशवादी कांग्रेस अपनी पुरानी वाली भ्रष्ट व्यवस्था को वापस लाना चाहती है —-
👉 महंगाई और जमाखोरी सान्तवे आकाश में पंहुचा दो
👉 हर दिन ताबूत में भर के अपने सैनिकों और crpf जवानों की लाशें आते देखो
👉 देश में हर तरफ बॉम्ब धमाके करवाओ; नक्सलवाद और आतंकवाद फैला दो। पूरे देश में माफियाराज हो
👉 सारे देसी उद्योग चौपट कर दो
👉 एक छोटी सी दुकान भी लगानी हो तो 50 NOC लेके आओ और नीचे से ऊपर तक सबको खिलाओ
👉 अपना हर काम कर वाने के लिए सरकारी बाबूओं को घूस खिलाओ
👉 सारी मूलभूत सुविधाओं को जनता से दूर कर दो
👉 अपने देश में कुछ मत बनाओ; सबकुछ विदेशों से ही मंगाओ और सब पे दलाली खाओ
👉 सुबह से शाम तक राशन की लाईन लगाके रखो, बिजली पानी के बिल की लाईन लगाके रखो, टेलीफोन बिल की लाईन लगाके रखो, गैस सिलेंडर की किल्लत कर दो; गैस की लाईन लगाके रखो
👉 देसी बीजों की कालाबाजारी करो; यूरिया और खाद की कालाबाजारी करो; किसानों को पानी मत दो; कंकड़ मिले अनाज बेचो
👉 मनरेगा के नाम पे पैसा खाओ, नौकरी के लिए पैसा खिलाओ, बाढ़ राहत सामग्री लूट लो
👉 सेना से सबूत मांगो और सैनिकों की लाशों पे राजनीती करो
👉 ओलंपिक और एशियाई खेलों मे अपने खिलाड़ियों को भ्रष्ट व्यवस्था की बलि चढ़ते देखो
👉 महंगी दवाइयों का दंश झेलो
👉 कुल मिला कर देश का ये हाल कर दो कि सांस लेना और आधी रोटी खाना भी सौभाग्य लगे..
मोदी जी ने आते ही इन सब पे सर्जीकल स्ट्राइक की और एनकाउंटर किये। आज सब कुछ डिजिटलाइज़ हो गया है..
इसीलिए देशद्रोही विपक्षी नौटंकी बाज़ों के पास बहुत खाली समय है धरना देने के लिए प्रदर्शन करने के लिए..
दोस्तों, एक बार अवश्य पढ़ें….👇🏻👇🏻
20 करोड़ मुसलमान और 7 करोड़ ईसाइयों की रक्षा के लिए 52 पार्टियाँ खड़ी है!!
और 100 करोड़ हिंदुओं की रक्षा के लिए… एक आदमी उन सबसे लड़ रहा है।
अगर आपने सही बटन दबाया तो बाकी काम वो कर लेगा।
मैं मोदी जी का प्रचार देशहित में कर रहा हूँ!
इसलिये नहीं कि भाजपा समर्थक हूँ, या भाजपा पार्टी से हमें कोई फायदा है, या कोई राजनितिक कार्यकता हूँ…. बल्कि इसलिए कि जब हमारे बच्चे बड़े होकर यह पूछेंगे कि जब देश के सारे गद्दार एक होकर देशभक्त मोदी जी से लड़ रहे थे तो आप क्या कर रहे थे?????
एक बात ध्यान देने योग्य हैं….👇🏻👇🏻
विचार करें कि देश में जितनी भी समस्याएं हैं उनमें से कोई एक भी नहीं जो इन 9 साल में पैदा हुई हो.. कुछ कम हुई होगी कुछ एक बढ़ गयी होंगी…
गरीबी पहले से है।
कभी उसे दूर करने के लिए कोई महागठबंधन बना ??
बेरोजगारी पहले से है।
कभी रोजगार के लिए कोई महागठबंधन बना ??
किसानों की समस्या पहले भी थी।
कभी उससे लड़ने के लिए कोई महागठबंधन बना ??
भ्र्ष्टाचार देश को खाये जा रहा था,
कभी उसके खिलाफ कोई गठबंधन बना ??
दंगे फसाद पहले खूब होते थे रोजाना कर्फ्यू,
कभी उस को रोकने के लिए कोई महागठबंधन बना ??
जात-पात छुआछूत दशकों से है।
कभी उसे मिटाने के लिए कोई महागठबंधन बना ??
सुबह से शाम हो जाएगी लिखते-लिखते इन देश की समस्याओं पर देश के लोगों की किसी भी एक समस्या के निवारण में लिए ये लोग कभी इकठ्ठे नहीं हुए।
तो सोचने का विषय है ?
ये लोग ऐसा क्यों कहते हैं कि देश के लोगों को बचाना है।
इसलिए हम इकठ्ठे हुए हैं।
अगर देश के लोगों को उनकी समस्याओं से बचाना था तो आज तक गठबंधन क्यों नहीं किया।
कभी गरीबी हटाओ, भ्रष्टाचार, बेरोजगारी हटाओ, आतंकवाद हटाओ, किसानों की समस्याओं को हटाने के नाम पर इन लोगों ने गठबंधन नहीं किया।
किया तो तब जब इन सबके अपने अस्तित्व खत्म होने लगा, इनकी दुकानें बन्द होने लगी, तब ये इकठ्ठे हुए,
समस्याओं को हटाने के लिए नहीं सिर्फ मोदी हटाने के नाम पर।
देश की समस्या इनके लिए कोई समस्या नहीं इनकी असली समस्या है खुद की समस्या।
इनकी पारिवारिक दुकानें बंद हो रही हैं।
इसलिए सब इक सुर में बोल रहे हैं।
“मोदी को हटाओ”
आपको फैसला करना है कि इनकी दुकानें चलानी है या बंद करनी है ??
मेरा वोट प्रधानमंत्री “नरेन्द्र मोदी” जी को!
┄┉══════❀❀❀══════┉┈
सच्चर कमिशन क्या था जो 2005 मे मनमोहन सिंह सरकार मे काँग्रेस लायी थी। कांग्रेस इस देश का संसाधन मुसलमानो को किस कदर देना चाहती थी की 2005 में मनमोहन सिंह ने मुसलमानो को यह देश सौपने के लिए और हिंदुओं को बर्बाद करने के लिए सच्चर कमीशन बनाया”
सच्चर कमीशन ने करीब 350 पन्नों की रिपोर्ट सरकार को दिया था
सच्चर कमीशन की रिपोर्ट के अनुसार
1- मुसलमानो को दलित और ST क्लास में आरक्षण दिया जाए
2- मुसलमान बच्चों की पढ़ाई फ्री हो
मुसलमान बच्चों को किताब कॉपी मुफ्त में दिया जाए
3- एमबीबीएस इंजीनियरिंग और आईआईटी में मुसलमानो के लिए अलग से आरक्षण हो
4- बैंक मुसलमान को बिना किसी गारंटी के लोन दें और यदि मुसलमान लोन न चुका सके तो बैंक उसे पर कोई कार्रवाई न करें
5- राज्य सरकार बोर्ड निगम में ज्यादा से ज्यादा मुसलमान को लाने के लिए 30% सीट मुसलमान को दें
6- केंद्र सरकार कानून बनाए जिससे सभी राज्य की विधानसभाओं में काम से कम 40% मुसलमानो को सीट रिजर्व किया जाए
7- और केंद्र कानून बनाए जिससे संसद में दोनों सदनों में 30% मुस्लिम सांसद बनकर आए
8- मुसलमानो को व्यापार करने के लिए हर शहरों में अलग इंडस्ट्रियल जोन बनाई जाए उनको मुफ्त में बिजली मिले और उन्हें 10 साल तक सभी टैक्स में माफ किया जाए ताकि वह अपना बिजनेस कर सकें
9- मुसलमान लड़कियों की शादी में सरकार ₹500000 की मदद करें
10- मुसलमानो को विदेश पढ़ने के लिए हर साल सरकार कम से कम 10000 मुसलमान बच्चों को स्कॉलरशिप दे
11- मुस्लिम इलाकों में बैंक खोले जाए जो मुसलमान को मुफ्त में लोन दें मुसलमान के लिए अलग से ईट और पॉलिटेक्निक खोले जाएं जिसमें सिर्फ मुसलमान बच्चे पढ़ें
12- जिस भी निर्वाचन क्षेत्र में मुस्लिम 20% से ऊपर हो उसे चुनाव क्षेत्र को दलित या आदिवासियों के लिए लोकसभा या विधानसभा के लिए रिजर्व ना किया जाए बल्कि उनको मुसलमान के लिए रिजर्व किया जाए
14- मदरसों की डिग्री को डिफेंस, सिविल और बैंकिंग एग्जाम के लिए मान्य करने की व्यवस्था करना।
15- हर एक मुसलमान को सरकार निजी कार बाइक या कमर्शियल वाहन खरीदने के लिए बिना ब्याज के लोन दें
आप गूगल पर सच्चर समिति की सिफारिश से सर्च करके उसे पढ़िए आप चौंक जाएंगे की किस कदर कांग्रेस इसमें लगी थी कि भारत में हिंदुओं को दोयम दर्जे का नागरिक बनकर मुसलमान को भारत का उच्च क्लास का नागरिक बना दिया जाए
और
हिंदुओं को भीख मांगने पर मजबूर कर दिया जाए
“राजनीतिक शतरंज” की इन -“11चालों” को, ध्यान से -“देखें और समझें” ….?
- “मुगल”, “भारतीय” बन गए…? और, “भारतीय., “काफ़िर”..
- “मोमिन”, “कश्मीरी” बन गए… ?
और, “कश्मीरी पंडित”, “शरणार्थी”….? - “बांग्लादेशी”- “बंगाली” बन गये….?
और, “बंगाली”, “बाहरी हिन्दू” …..? - “सैनिको” के “हत्यारे” और
“पत्थर बरसाने वाले”….
“आंदोलनकारी” बन गए…..? और,”सेना”,
“मानवाधिकार उल्लंघनकारी”….? - “टुकड़े- टुकड़े गैंग”, “देशभक्त” बन गया…?
और, “देशभक्त”,
“ब्रांडेड कट्टर अतिवादी ……? - “चिता की लकड़ी”,
“पर्यावरणीय चिंता” बन गई…..
और, “दफनाने” में “बर्बाद होने वाली भूमि”,
“जन्मसिद्ध अधिकार” हो गई…..? - “राखी” में इस्तेमाल किया गये
-“ऊन” से, “भेड़” को “चोट” पहुंची..? और
- “बकरीद” में -“हजारों बकरियों” का “कत्ल”,
“धार्मिक स्वतंत्रता” बन गया….?
- “तुष्टिकरण”, “धर्मनिरपेक्ष” हो गया…..?
जबकि, “समानता”, “कम्यूनल” हो गई….? - “आरएसएस”, “आतंकवादी” बन गया…?
और, “ओसामा जी”…, “हाफिज साहेब”…, और -“हुर्रियत”,
“शांति के शिखर”…… - “भारत माता की जय”,
“सांप्रदायिक” हो गया….?और,
“भारत तेरे टुकडे होंगे”,
“फ्रीडम ऑफ एक्सप्रेशन हो गया”….?
11 .“फूट डालो राज करो” ,”नियम” बन गया…. ?और..,
“सबका साथ सबका विकास” “जुमला”..?
ज़रा “सोचो”…? और “समझो”… कि
“आखिर” एक – “हिन्दू बहुल देश” में ….,
“ये सब” हुआ कैसे…???
सिर्फ पढ़ोगे ?
या फारवर्ड भी करोगे ?
नहीं ना???
मुझे पता था
“हिन्दू” जो “ठहरे”…?!!!
ऐसे ही सोए रहे …..? तो –
पता भी नही चलेगा..?,
“कब”…
“आतंकी देश” के “नागरिक” बन गए…?
जय श्री राम 🚩🚩🚩🕉️
एक महिला की आपबीती
अहमदाबाद से सूरत जा रही थी ,
बीच में एक सड़क किनारे एक बुजुर्ग महिला लारी में नारियल पानी बेच रही थी मैने ड्राईवर भाई से कार रोकने को कहा ,
ड्राइवर भाई बोले रुको मैडम में नारियल पानी ले आता हु ,
मैं बोली मुझे खुद नारियल पानी पीने जाना है मैं बुजुर्ग महिला के पास गई नारियल पानी लिया उनसे कुछ पल बात की पता चला की आज उनका जन्मदिन है
मैने सभी नारियल पानी खरीद लिए करीब 100 के आसपास थे फिर बोली आप अपने जन्मदिन पे लोगो को फ्री में नारियल पानी पिलाए सभी नारियल पानी के पैसे मैं दे दूंगी ,
बुजुर्ग महिला वहा से गुजर रहे सभी लोगो को जन्मदिन की खुशी में नारियल पानी फ्री में देने लगी लेकिन किसी ने भी फ्री में नारियल पानी नहीं पिया बुजुर्ग महिला को नारियल पानी पीने के बाद किसी ने बर्थ डे गिफ्ट के तौर पे अपनी क्षमता के अनुसार 20 रुपए दिए किसी ने 50 तो किसीने 100 और 200 दिए एक भी व्यक्ति ये फ्री में नारियल पानी नहीं पिया
सिर्फ 2 लोगों ने बुजुर्ग महिला से फ्री में नारियल पानी पिया मैने वह 2 लोगों से पूछा की आप कहा से आरहे हो , तो वे दोनो बोले की हम दिल्ली से है
फिर मैंने मनमें सोचा ओह दिल्ली से हैं फिर तो फ्री में ही पियेंगी…
🤣😂🤣
HONEYPOTS & Influence Operations: China Spies turn to Europe.
Arrests in Germany & UK point to growing scale & ambitions of Chinese espionage operations.
FINANCIAL TIMES.
ये भारत में क्या कर रहे होंगे इन Indian Media, Politicians purchased by Money & Europeons by Females.
Brest is a rainy industrial port, pounded by the Atlantic, that is home to the French navy and its submarine nuclear deterrent. It has also witnessed a remarkable number of weddings in recent years between female Chinese students and the seamen who work at its naval bases.
“How should we evaluate such relationships?” a concerned parliamentarian asked the head of France’s nuclear submarine forces at a closed-door hearing at the National Assembly in Paris.
“Honeypots”, where an agent seeks to romantically entangle their target, are a staple of racy spy thrillers. They are also a marker of how China’s espionage operations have expanded in Europe, culminating last week in a spate of highly public arrests.
Three German citizens were detained on suspicion of trying to sell sensitive military technology to China. Police also swooped on a staffer for a German far-right member of the European parliament who was accused of working covertly for China. British prosecutors, meanwhile, charged two men with allegedly spying for Beijing, one of whom was a parliamentary researcher.
While Admiral Morio de l’Isle reportedly warned French lawmakers about the Brest weddings in 2019, current and former intelligence officers said the latest incidents were more typical of China’s espionage efforts in Europe.
In particular, they were examples, as one official put it, of Beijing’s “exquisite seeding” of operations that patiently seek to cultivate political influence and shape European attitudes towards China. This has become increasingly important to Beijing as European policymakers come to see China, and its strategic relationship with Russia, as a security threat, and not simply a source of economic opportunity.
“The Chinese are doing more [espionage], and western intelligence are getting better at spotting it,” said Nigel Inkster, a former director of operations at the Secret Intelligence Service, Britain’s foreign intelligence agency, otherwise known as MI6.
“In contrast to the US, China’s intelligence agencies have [so far] been less active in Europe. But as European attitudes have begun to harden [towards China], we can expect to see more . . . influence operations.”
China’s foreign ministry last week dismissed the latest round of spying charges — which broke soon after German chancellor Olaf Scholz returned from a three-day trip to China, Germany’s biggest trade partner — as “hype”. With President Xi Jinping due to visit Europe next month, Beijing is more sensitive than usual about espionage allegations.
“The intention . . . is very obvious, which is to discredit and suppress China and undermine the atmosphere of China-EU co-operation,” the ministry’s spokesperson said.
But in a rallying call to the country’s spy agencies, Chen Yixin, minister of state security, said on Monday that China must organise a “powerful offensive”. Its agencies must carry out special “counter espionage operations” to “resolutely dig out” and “eliminate traitors”, Chen said in Study Times, the Communist Party school’s official journal.
Western intelligence agencies and security analysts said Chinese spying activities, particularly those led by its civilian espionage body, the Ministry of State Security, were real. More worryingly, there are signs they may intersect with Russian networks that have penetrated Europe’s political extremes.
French Fusiliers Marins attend a ceremony at a submarine navy base near Brest
Founded in 1983, China’s MSS is a civilian secret police service that the US has described as a combination of the FBI and the CIA. Its reach extends throughout Chinese society, with the agency responsible for counter-intelligence as well as political security for the communist regime.
It has also been accused of wide-ranging espionage and influence operations abroad, along with the theft of foreign intelligence and technology.
Unlike its more centralised western counterparts, the MSS bases some of its spying operations out of competing provincial centres, according to western officials. The Shanghai bureau typically leads on US espionage, while Zhejiang has tended to focus on Europe.
One central MSS agent in Europe in recent years, Daniel Woo, pushed Frank Creyelman, a former Belgian senator, to influence discussions in Europe on issues ranging from China’s crackdown on democracy in Hong Kong to its persecution of Uyghurs in Xinjiang.
Woo is also said to have been the Chinese contact for other far-right politicians who have shown close sympathies with Russia, including acting as election monitors for Moscow’s sham referendums in occupied Ukraine.
“China is playing from the same authoritarian playbook: sow doubt about democracy and gain influence among any groups that challenge existing political divisions, through a slow drip-drip of action,” said Dan Lomas, assistant professor in international relations at the University of Nottingham.
“The aim is to create discord,” he added. ” China is not creating the issues; they are self-created by democracies. Rather, the approach is to pick off the scab of these issues by fomenting support among extremist groups.”
The scale of China’s spying operations in Europe is potentially vast. In 2019, the EU’s foreign service reportedly warned that there were about 250 known Chinese spies in Brussels, compared with 200 Russian agents.
More recently, the British parliament’s intelligence and security committee warned late last year that the size of China’s state intelligence apparatus, “almost certainly the largest in the world, with hundreds of thousands of civil intelligence officers”, had created “a challenge for our agencies to cover”.
“ China’s human intelligence collection is prolific,” it said.
By contrast, Britain’s MI6 and its domestic counterpart M15 have a combined staff of about 9,000, according to the most recent data available.
In addition, China runs sprawling cyber operations, which cross international boundaries. Christopher Wray, director of the FBI, warned in January that China could deploy hackers that outnumbered his own agency’s cyber-personnel by “at least 50 to one”.
Chinese spying claims in the UK – and beyond
Intelligence officials and analysts said one reason for Europe’s increased focus on Chinese espionage was Russia’s invasion of Ukraine. This had expanded the aperture of agencies, which had shifted focus from state-led threats to counterterrorism since 2001. It has also led to more cross-agency co-operation.
China’s economic power and geopolitical weight mean that European policies towards China will remain more nuanced than towards Russia.
“There is always a debate about whether China represents a security threat or an economic opportunity,” Lomas said. “That debate will continue so long as China remains an economic powerhouse that plays by the international rules of the game.”
Yet that debate may be shifting. Late last year, Italy formally broke with China’s signature Belt and Road infrastructure initiative. Last week, Brussels raided the offices of Nuctech, a Chinese security equipment supplier, under new anti-foreign subsidy powers.
At the same time, as European intelligence agencies work together more, Chinese and Russian espionage networks may be tacitly doing the same.
Adam Ni, publisher of newsletter China Neican, said Europe’s far-right groups might provide fertile ground. While many European groups would not work for foreign spies, some may willingly co-operate with Moscow and Beijing.
“They want to emulate some aspects of the model of Russia and China,” Ni said. “There is a tendency to . . . agree with them on an increasing range of topics.”
Filip Jirouš, an intelligence analyst at the Washington-based Jamestown Foundation think-tank, agreed and pointed to specific figures such as Ladislav Zemánek, a far-right Czech scholar and politician who is listed as a contributor to the Kremlin-sponsored Valdai Club and is subject to sanctions in Ukraine.
Zemánek writes for the Budapest-based China-CEE Institute, which is run by the Beijing-based Chinese Academy of Social Sciences’ Institute of European Studies. The director of the institute and head of China-CEE is Feng Zhongping, who is a former senior figure at the China Institutes of Contemporary International Relations, a think-tank that western scholars believe is an MSS front.
As China and Russia, Jirouš wrote recently, “continue to align, individual co-optees will more likely work for both authoritarian states. And as alt-right movements become more mainstream — and mainstream political parties become more alt-right — the risk of PRC [People’s Republic of China] intelligence influencing European politics through Russia-cultivated networks will continue to rise.”
German spycatchers raise game against China and Russia
Contacted by the Financial Times, representatives for CASS said the China-CEE Institute did not engage in political activities, pursued objective and independent academic opinions and complied with Hungary and EU law.
CASS had no affiliation with the MSS or China’s “United Front” social influence activities, they said, and Feng left CICIR several years ago. They said Zemánek was only an occasional contributor.
Zemánek, when asked for comment by the FT, said: “The spirit of McCarthyism has been revived, our fundamental rights are under attack.”
He said journalists should “should focus on investigating the US influence over Europe and their interference in our affairs rather than helping the Americans to create division between countries”.
♦️♦️♦️♦️♦️♦️♦️♦️♦️♦️
Striking Similarities between Rigveda and Fundamental Elements of Indian Constitution
ऋग्वेद और भारतीय संविधान के मौलिक तत्वों के बीच अद्भुत समानताएँ
By Most Sacred Veda Rig veda, Supreme Power ordains Sanatani for:
Religious Freedom
Non-discrimination
Justice
All-inclusive Prosperity
सबसे पवित्र वेद ऋग्वेद के माध्यम से, परम शक्ति सनातनी को नियुक्त करते हैं
धार्मिक स्वतंत्रता के लिए,
भेदभाव ना करने के लिए,
न्याय, सभी की समृद्धि के लिए
ऋग्वेद सूक्त—१९१ (191) म.-10, अनु.12
संगच्छध्वं सं वदध्वं सं वो मनांसि जानताम्. देवा भागं यथा पूर्वे सञंजानाना उपासते समानो मन्त्रः समितिः समानी समानं मनः सह चित्तमेषाम्. समानं मन्त्रमभि मन्त्रये वः समानेन वो हविषा जुहोमि समानी व आकूतिः समाना ह्रदयानि वः. समानमस्तु वो मनो यथा वः सुसहासति
Rig Veda Provides (Supreme Power asks Human being to:
Have LIBERTY to worship his GOD who were being worshipped by his/her forefathers. (देवा भागं यथा पूर्वे सञंजानाना उपासते)
*
Have EQUALITY in getting Education (वो मनांसि जानताम्). Whether one worship or not, I treat everyone equally (समानं मन्त्रमभि मन्त्रये), All are being provided same food being produced by same earth. (वः समानेन वो हविषा जुहोमि)
*
Live with BROTHERHOOD (समितिः समानी)
Speak with each other pleasantly with love, and without arguments (संगच्छध्वं सं वदध्वं)
Have compassion for each other. (समाना ह्रदयानि)
*
Not discriminate each other, All are equal. (समानी समानं मनः सह चित्तमेषाम्)
*
Unite and work in unison to prosper this earth and evolve human kind
(समानमस्तु वो मनो यथा वः सुसहासति)
Whereas
Constitution Provides in similar lines:
(Religious Freedom)
LIBERTY of thought, expression, belief, faith, and worship;
*
EQUALITY of status and of opportunity; and to promote among them all
*
FRATERNITY assuring the dignity of the individual and the unity and integrity of the Nation;
*
JUSTICE, social, economic and political;
*
resolve to constitute India into a SOVEREIGN
♦️♦️भाग – 1♦️♦️
🇮🇳🍁यह लेख केवल राष्ट्रवादियों के लिए है, चम्मचे और ग़ुलाम दूर रहें।
♦️♦️सावधान भारत♦️♦️
♦️♦️वो ताक में हैं!♦️♦️
🌷प्रशांत बाजपेई🌷
♦️♦️♦️♦️♦️♦️♦️♦️♦️♦️
♦️कहावत है कि जो दूसरे के लिए गड्ढा खोदता है, वह खुद उसी गड्ढे में जा गिरता है। राहुल गांधी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के लिए गड्ढा खोदते-खोदते, देश के लिए गड्ढा खोदने लगे, फिर उसी गड्ढे में कांग्रेस समेत समा गए। ऐसा बार-बार हुआ। इस आम चुनाव में भी यही हो रहा है।
नक्सली सपनों की दुकान
♦️राष्ट्रीय गौरव, 2047 का भारत, सुरक्षित भारत, विश्वस्तरीय राजमार्ग, प्रधानमंत्री आवास योजना, आयुष्मान भारत योजना, प्रधानमंत्री मुद्रा योजना आदि का जवाब राहुल गांधी लेकर आए हैं कि कांग्रेस पार्टी किसी और की संपत्ति छीनकर आपको बांट देगी। सवाल उठता है कि किसकी संपत्ति किसको बांटी जाएगी? वास्तव में राहुल गांधी देश की जनता को माओ-स्टालिन-पोलपोट छाप वामपंथी सपना बेचने की कोशिश कर रहे हैं, जिसमें कहा जाता है कि जो कोई भी तुमसे ऊपर है, तुम्हारा दुश्मन है, हम सत्ता में आएंगे तो उसकी संपत्ति तुम्हारी हो जाएगी। यानी गरीबी रेखा के उस तरफ खड़ा व्यक्ति, निम्न मध्यम वर्ग की दुकान, मकान का हिसाब करे।
♦️निम्न मध्यम वर्ग, मध्यम वर्ग की तरफ देखे। मध्यम वर्ग, उच्च मध्यम वर्ग से और उच्च मध्यम वर्ग धनाढ्य लोगों, कंपनियों और उद्योग जगत से ईर्ष्या करे। यह है राहुल गांधी की ‘मुहब्बत की दुकान’। देश में अराजकता फैलाने पर आमादा, अपने कम्युनिस्ट उस्तादों की नकल करते-करते राहुल अब नक्सली भाषा बोल रहे हैं। इसलिए न न्याय की चिंता है, न संविधान की। आखिरकार राहुल, टैक्स आतंक और लाईसेंस माफिया की समाजवादी विरासत को संभालने वाले शहजादे हैं। उन्होंने देखा है कि तुष्टीकरण की शमशीर को कमर पर कसकर, ‘गरीबी हटाओ’ की अफीम जनता को चटाते रहकर, खानदान की सत्ता को बनाए रखा जाता है।
♦️वोट बैंक का दलदल
♦️अब कांग्रेस अपने ही बनाए जाल में बुरी तरह फंस चुकी है। प्रधानमंत्री मोदी ने एक चुनावी रैली में कहा, ‘‘कांग्रेस वोट बैंक के दलदल में इतनी बुरी तरह फंसी हुई है कि उसे बाबा साहब आंबेडकर के संविधान की भी परवाह नहीं है। कांग्रेस ने अपने घोषणापत्र में लिखा है कि आपकी संपत्ति का सर्वे करेंगे। उनके नेता कह रहे हैं कि संपत्ति का एक्सरे किया जाएगा।’’ एक अन्य सभा में प्रधानमंत्री ने कहा, ‘पहले जब उनकी सरकार थी, तब उन्होंने कहा था कि देश की संपत्ति पर पहला अधिकार मुसलमानों का है। इसका मतलब, यह संपत्ति इकट्ठी करके किसको बांटेंगे? जिनके ज्यादा बच्चे हैं, उनको बांटेंगे। घुसपैठियों को बांटेंगे। क्या आपकी मेहनत की कमाई का पैसा घुसपैठियों को दिया जाएगा? यह कांग्रेस का मेनिफेस्टो कह रहा है कि संपत्ति को बांट देंगे। और किसको बांटेंगे, जिनको मनमोहन सिंह जी की सरकार ने कहा था कि संपत्ति पर पहला अधिकार मुसलमानों का है।’’
♦️कांग्रेस इन बातों से कैसे इनकार करेगी? क्या सफाई देगी? क्या पिछले सत्तर साल में, तुष्टीकरण और वोट बैंक की राजनीति के लिए, कांग्रेस ने देश और हिंदू समाज को दांव पर नहीं लगाया है? क्या आज भी कांग्रेस के इस रवैये में रत्ती भर परिवर्तन हुआ है? क्या बेहद अन्यायकारी वक्फ कानून बनाकर कांग्रेस ने देश की जमीन वक्फ बोर्ड को नहीं बांटी है? कांग्रेस के बनाए इस कानून के कारण मुस्लिम वक्फ बोर्ड इतना ताकतवर हो गया कि मद्रास उच्च न्यायालय को वक्फ बोर्ड से अपनी जमीन बचाने के लिए सर्वोच्च न्यायालय की शरण लेनी पड़ी, आम आदमी की तो बिसात ही क्या।
♦️याद रहे कि संप्रग सरकार के समय ही केंद्रीय विद्यालय के प्रतीक चिन्ह में से भारतीय संस्कृति के प्रतीक कमल को हटाकर चांद-तारे तथा क्रॉस से बदला गया था। मोदी के आने से देश में सनातन संस्कृति आने का डर दिखाते कांग्रेस के वर्तमान अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खडगे का बयान यूट्यूब पर मौजूद है। उनके बेटे प्रियंक खडगे और कांग्रेस के सहयोगी स्टालिन सनातन को डेंगू, मलेरिया और न जाने क्या-क्या कहते हैं। उत्तर प्रदेश में कांग्रेस की सहयोगी समाजवादी पार्टी (सपा) के नेता रामगोपाल यादव पूजा-पाठ करने वालों को पाखंडी कहते हैं। दक्षिण के राज्यों में कांग्रेस और उसके सहयोगी दलों ने मुसलमानों को सरकारी आरक्षण दे रखा है। अभी हाल ही में कर्नाटक की कांग्रेस सरकार ने मुस्लिम सरकारी कर्मचारियों को रमजान के महीने में जल्दी घर जाने की अनुमति दे दी। क्या हिंदू कर्मचारी इस तरह की कृपा की अपेक्षा कर सकता है? और इस तरह की छूट दी ही क्यों जानी चाहिए?
♦️♦️लेख जारी है ——–
♦️♦️♦️♦️♦️♦️♦️♦️♦️♦️
शेर दहाड़ते रह गये,भेड़िए जंगल पर कब्जा बनाकर बैठ चुके हैं!
हिन्दू एक मरती हुई नस्ल
Hindu, a dying race
साल 1914 में यूएन मुखर्जी ने एक छोटी सी पुस्तक लिखी, नाम था…
हिन्दू – एक मरती हुई नस्ल’
सोचिए 108 साल पहले उन्हें पता था!
1911 की जनगणना को देखकर ही 1914 में मुखर्जी ने पाकिस्तान बनने की भविष्यवाणी कर दी।
उस समय संघ नहीं था, सावरकर नहीं थे, हिन्दू महासभा नहीं थी।
तब भी मुखर्जी ने वो देख लिया जो पिछले 100 सालों में एक दर्जन नरसंहार और एक तिहाई भूमि से हिन्दू विलुप्त करा देने के बाद भी राजनैतिक विचारधारा वाले सेक्युलर हिन्दू नहीं देख पा रहे थे।
इस किताब के छपते ही सुप्तावस्था से कुछ हिन्दू जगे।
अगले साल 1915 में पं मदन मोहन मालवीय जी के नेतृत्व में हिन्दू महासभा का गठन हुआ।
आर्य समाज ने शुद्धि आंदोलन शुरू किया जो एक मुस्लिम द्वारा स्वामी श्रद्धानंद की हत्या के साथ समाप्त हो गया।
1925 में हिन्दुओं को संगठित करने के उद्देश्य से संघ बना।
लेकिन ये सारे मिलकर भी वो नहीं रोक पाए जो यूएन मुखर्जी 1915 में ही देख लिया था।
गांधीवादी अहिंसा ने इस्लामिक कट्टरवाद के साथ मिलकर मानव इतिहास के सबसे बड़े नरसंहार को जन्म दिया और काबुल से लेकर ढाका तक हिन्दू शरीयत के राज में समाप्त हो गए।
जो बची भूमि हिन्दुओं को मिली वो हिन्दुओं के लिए मॉडर्न संविधान के आधार पर थी और मुसलमानों के लिए.
शरीयत की छूट,
धर्मांतरण की छूट,
चार शादी की छूट,
अलग पर्सनल लॉ की छूट,
हिन्दू तीर्थों पर कब्जे की छूट,
सब कुछ स्टैंड बाय में है।
हिन्दू एक बच्चे पर आ गए हैं, वहां आज भी आबादी बढ़ाना शरीयत है।
जो लोग इसे केवल राजनीति समझते हैं उन्हें एक बार इस स्थिति की गंभीरता का अंदाजा लगाना चाहिए 2015 में 1915 से क्या बदला है?
आज भी साल के अंत में वो अपना नफा गिनते हैं, हम अपना नुकसान।
हमें आज भी अपने भविष्य के संदर्भ में कोई जानकारी नहीं है।
आज भी संयुक्त इस्लामिक जगत हम पर दबाव बनाए हुए हैं कि हम अपने तीर्थों पर कब्जा सहन करें, लेकिन उपहास और अपमान की स्थिति में उसी भाषा में पलटकर जवाब भी न दें।
मराठों ने बीच में आकर 100-200 साल के लिए स्थिति को रोक दिया जिससे हमें थोड़ा और समय मिल गया है लेकिन ये संघर्ष अभी खत्म नहीं हुआ है।
अपने बच्चों को देखिए आप उन्हें कैसा भविष्य देना चाहते हैं। मरती हुई हिन्दू नस्ल जैसा कि 1915 में यूएन मुखर्जी लिख गए थे।
अपने समय का एक समय,
अपनी कमाई का एक हिस्सा,
बिना किसी स्वार्थ के हिन्दू जनजागरण में लगाइये, अगर ये कोई भी दूसरा नहीं कर रहा तो खुद करिए।
नहीं तो…. आपके बच्चे अरबी मानसिकता के गुलाम, चौथी बीवी या फिदायन हमलावर बनेंगे और इसके लिए सिर्फ आप जिम्मेदार होंगे।
Hindu dying race नहीं है, हम सनातन हैं।
और ये आखिरी सदी है, जब हम लड़ सकते हैं। इसके बाद हमारे पास भागने के लिए कोई जगह नहीं है।
बेशर्मी और निर्लज्जता की हद देखिए..
एक हिन्दू महिला (नुपुर शर्मा ) के विरुद्ध लगातार आग उगल रहे हैं, जान से मारने के फतवे दे रहे हैं, बलात्कार की धमकी दे रहे हैं और ये हाल तब है जब ये मात्र 25% है।
गम्भीरता से सोचिए……
आपके सामने आपकी महिला को कट्टरपंथी खुलेआम गर्दन काटने, बलात्कार की धमकी दे रहे हैं, पोस्टर चिपका रहे हैं, जहां आप बाहुल्य समाज हैं.
उनका दुस्साहस देखिए आपके इलाके में जाकर आपकी महिला के विरुद्ध प्रदर्शन में आपकी दुकानें बंद करवाने पहुंच गए. नही माने तो पत्थरबाज़ी कर दंगा कर दिया।
ये हाल तब है जब वे 20 दिनों से लगातार फव्वारा चिल्ला रहे हैं।
यहां मसला केवल एक महिला का नही बल्कि गर्दन काटने को उतारू उस कट्टरपंथ मानसिकता का है, जिसका प्रतिकार बहुत आवश्यक है।
समय रहते इसे बढ़ने से रोकना बहुत आवश्यक है, वरना देश जंगलराज हो जाएगा।
इसे यही रोकिये, हल्के में मत लीजिए।
मानवता वाली भूमि को रेगिस्तान बनने से रोक लीजिए….आप घिर चुके हैं…
ठीक उसी प्रकार जैसे…शतरंज में राजा को प्यादे,
जंगल मे शेर को भेड़िए,
और चक्रव्यूह में अभिमन्यु…….
शरजील इमाम ने “चिकेन नेक” की बात की, आप जानते हैं हर शहर का एक चिकन नेक होता है! हर बाजार का एक चिकेन नेक होता है और सभी चिकन नेक पर उनका कब्जा है।
आप अपने शहर के मार्केट निकल जाइए अपना लैपटाप बनवाने मोबाईल बनवाने या कपड़े सिलवाने आप को अंदाजा नही है कि चुपचाप “बिजनेस जिहाद” कितना हावी हो चुका है।
गुजरात का जामनगर हो, लखनऊ का हजरतगंज, मुम्बई का हाजी अली, गोरखपुर का हिंदी बाजार या दिल्ली का करोलबाग “चेक मेट” हो चुके हैं,
अब हर जगह इनका कब्जा हो चुका है!
उतने जमीन पर आप के मंदिर नही हैं जितनी जमीनें उनके पास “कब्रिस्तान” के नाम पर रसूल की हो चुकी हैं!
एक दर्जी की दुकान पर सिलाई करने वाले सभी उनके हम-मजहब है, चैन से लगाकर बटन तक के सप्लायर नमाजी हैं! ढाबे उनके, होटल उनके, ट्रांसपोर्ट का बड़ा कारोबार हो या ओला उबर का ड्राइवर सब जुमा वाले हैं।
आप शहर में चंदन जनेऊ ढूढते रहिए नहीं पाएंगे, वहीं हर चौराहे पर एक कसाई बैठा है।
घिर चुके हैं आप !
उपाय इसका इतना आसान नही है, गहराई से काम करना होगा, अपनी दुकानें बनानी होंगी, अपना भाई हर जगह बैठाना होगा।
वरना गजवाएहिंद चुपचाप पसार चुका है अपना पांव, बस घोषणा होनी बाकी है।
शेर दहाड़ते ही रह गया, भेड़िए जंगल पर कब्ज़ा बना कर बैठ चुके हैं।
आँखे बंद करिए और ध्यान दीजिए हर जगह आप को नारा ए तकबील “अल्लाहु अकबर”!! सुनाई देगा..
और अगर नहीं सुनाई दे रहा है तो मुगालते मे हैं आप।
बस एक जवाब लिख दीजिए और बता दीजिए कि “कब जागेंगे आप”?
कब तक सेकुलर का चोला ओढ़े रहेंगे.?
*हिंदू एक मरती नस्ल *
सभी हिन्दू मित्रो को अधिक से अधिक अपने सदस्यों को यथाशीघ्र पहुँचाईए।
RSS की स्थापना भारत की आजादी से पहले 1925 में हुई देश में हिन्दू तब भी थे
लेकिन वो RSS के साथ नहीं, महात्मा गाँधी के साथ चले।
इस साथ के बदले गाँधी ने हिंदुओं की जमीन काट कर मुसलमानों को दे दी, वो जमीन जो हज़ारों साल से हिंदुओं की थी। क्षणिक आवेश के बाद शांत हुआ देश का हिन्दू तब भी गोडसे के साथ नहीं गया, नेहरू के साथ गया।
चार दशक बाद,1980 में भाजपा बनी लेकिन देश का हिन्दू तब भी भाजपा के साथ नही था, इंदिरा के साथ था, राजीव के साथ था।
तब संसद भवन/ राष्ट्रपति भवन में रोजा इफ्तार होता था,हिन्दू ने कोई ऐतराज नहीं किया।
हिन्दू तो अपने घर में माता को चूनर चढ़ा कर खुश था।
हज के लिए सब्सिडी दी जा रही थी, हिन्दू तब अमरनाथ वैष्णो देवी की यात्रा में आतंकियों की गोली खा कर भी खुश था।
ट्रेनों में, पार्कों में, बसों में, सड़कों को घेर कर नमाज होती थी।
बेचारा हिन्दू खुद को बचा के कच्ची पगडंडी से घर-ऑफिस निकल जाता था।
( दिल्ली में CAA,NRC के विरोध में महीनों धरना चला, हिन्दू १५-२० किमी चक्कर लगाकर घर आफिस जाता था लेकिन फ्री के चक्कर में केजरीवाल को जिताया। भीषण दंगों का दंश झेला
पूरे देश मे वक्फ की आड़ में अनगिनत मस्जिदें बन रही थीं, हिन्दू को कोई ऐतराज नहीं था।
वो तो तब अस्पताल मांग रहा था।
जगह जगह मज़ारें बना कर जमीन कब्जाई जा रही थी, हिन्दू उन्हीं मज़ारों पर माथा टेककर अपने बच्चों के लिए स्कूल मांग रहा था।
फिर एक दिन हिंदुओं ने अपने आराध्य श्रीराम जी का अपना एक मंदिर वापस मांग लिया।
लेकिन कुछ लोग रावण की तरह अभिमान में डूबे थे।
रावण ने कहा था सीता वापस नहीं करूँगा, ये राम और इसकी वानर सेना क्या ही कर लेगी।
कलयुग के रावणों को भी लगा, मन्दिर वापस नहीं करेंगे, ये काल्पनिक राम और इसकी वानर सेना क्या ही कर लेगी। बाबर न तो अयोध्या में पैदा हुआ था और न अयोध्या में मरा था।
उसके नाम से मस्ज़िद देश में कहीं भी बन सकती थी।
देश में हज़ारों लाखों मस्जिदों के बनने पर भी हिन्दू को ऐतराज नहीं था।
उसे चाहिए था तो बस एक मंदिर, लेकिन उसे मिला क्या?
माथे पर लगाने के लिए रामभक्तों के रक्त से सनी अयोध्या की मिट्टी, अर्चन के लिए खून से लाल सरयू का जल, अर्पण के लिए ट्रेन की बोगी में जली हुई रामभक्तों की लाशें।
अभी तक स्कूल अस्पताल नौकरी के सपनों में खोया बहुसंख्यक हिन्दू जिद पर अड़ गया। उसका स्वाभिमान जाग गया। वो उठ खड़ा हुआ, एकजुट हुआ और अपने ही देश में दोयम दर्जे का नागरिक बने रहने का अभिशाप एक झटके में उखाड़ फेंका।
बात सिर्फ एक मंदिर की थी, आज वो अपना हर मन्दिर वापस लेने की जिद पकड़ बैठा है।
हिंदुओं ने वो कर दिखाया है, जो संसार की कोई भी सभ्यता नहीं कर पाई।
न यहूदी अपने धार्मिक स्थल वापस ले पाए, न ईसाई और न पारसी।
और ना ही मुसलमान यहूदियों या ईसाइयों से अपने धार्मिक स्थल वापस ले पाए
लेकिन हिंदुओं ने इनके जबड़े में हाथ डाल कर अपने आराध्य का घर वापस ले लिया। ये मदमस्त वानरों की टोली है,
इनके रास्ते में मत आओ,
भले ही आप राजनीति के सर्वोच्च पद पर हों या धर्म के।
ये राम की वानरसेना है, जो लड़ना भी जानती है और अब जीतना भी।
और हां अयोध्या तो झांकी है अभी हिंदू राष्ट्र व मथुरा काशी बाकी है ।
भारत माता की जय
वंदे मातरम – जय हिंद
इस संदेश को कम से कम पांच ग्रुप मैं जरूर भेजें
कुछ लोग नहीं भेजेंगे जो नहीं भेजेंगे वो वही हिंदू हैं जो उस वक्त भी हिंदुओं के साथ नहीं बल्कि विधर्मियों के साथ खड़े थे
लेकिन मुझे यकीन है आप जरूर भेजेंगे।
🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏
महा ईमानदार
मनमोहन सिंह की
3 बेटियों के साथ मिलीभगत करके
अमर्त्य सेन ने भारत के खजाने से 2729 करोड़ रुपए डकारे थे।
काँग्रेस की मनमोहन सिंह सरकार ने
बिहार के नालंदा विश्वविद्यालय में
अनर्थशास्त्री अमर्त्य सेन को
वाइस चांसलर बनाकर
5 लाख रुपये टैक्स फ्री मासिक वेतन,
बिना परमिशन सरकारी खर्चे पर विदेश यात्राएं करने,
5 स्टार होटलों में मीटिंग करने,
वहीं रुकने,
प्रोफेसरों की सीधी भर्ती करने आदि की खुली छूट दे दी।
बदले में अमर्त्य सेन ने
मनमोहन सिंह की 3 बेटियों
उपिंदर सिंह,
दमन सिंह और
अमृतसिंह को
नालन्दा विश्वविद्यालय में
प्रोफेसर बना दिया
और साथ ही उपिंदर सिंह की 3 सहेलियों
गोपा सभरवाल,
अंजना शर्मा ,
नयनजोत लाहिरी को भी प्रोफेसर बना दिया।
ये सातों
अमेरिका में बैठकर ही
नालंदा विश्वविद्यालय को चलाते रहे
और भारत की गरीब जनता के टैक्स के 2729 करोड़ रुपए वेतन और विदेश घूमने (अमरीका में रहने) के नाम पर खर्चे पानी के डकार गए।
2014 में मोदी सरकार ने आकर, यह लूट बंद कर दी, और अमर्त्य सेन को नालन्दा विश्वविद्यालय से निकाल दिया।
इससे नाराज दुष्ट अनर्थ शास्त्री अमर्त्य सेन
अब मोदी सरकार को कोसता रहता है।
ये जानकारी किसी भी दरबारी मीडिया ने आज तक बताई क्या ??
सोचो कितना लूट मचा रखा था इन Dacoits of Indian Taxpayers Hard-earnedoney ने… इसीलिए तो सब दल मिलकर फिर से देश को वैसे ही नोचने का प्लान बना रहे हैं बस किसी तरह सत्ता तक पहुंच जाएं.इतनी लूटने की इच्छा शक्ति आती कैसे है गद्दारों मे घोटाले तो इनके इतने है कि लिखने की लिमिट खत्म हो जाएगी। फिर भी पता नहीं कि ये कैसे अभी तक जिंदा है इतने घोटाले कर के!
💫 भाजपा, बस एक छोटा सा काम कर दे !! फिर गांधी परिवार को देश में कोई देखना पसंद नहीं करेगा !!!
एम.ओ. मथाई की किताब “Reminiscences of the Nehru Age” पर लगा बैन हटा ले !!
बिकने दे भारत में और कुछ फ्री बटवा दें !!
चार दिन में कांग्रेसी सड़कों पर नाचते मिलेंगे !!!
सच्चाई दुनियां न जान जाए इसीलिए तो मथाई की पुस्तक को प्रतिबंधित कर दिया गया था। एम ओ मथाई के साथ इंदिरा के अवैध संबंध रहे थे। बारह वर्षों तक। इंदिरा प्रियदर्शिनी ने नेहरू राजवंश को अनैतिकता को नयी ऊँचाई पर पहुचाया !
इंदिरा को ऑक्सफोर्ड विश्व विद्यालय में भर्ती कराया गया था, लेकिन वहाँ से ज़ल्दी ही पढ़ाई में खराब प्रदर्शन और अय्याशी के कारण वह बाहर निकाल दी गयी ! उसके बाद उनको शांति निकेतन विश्वविद्यालय में भर्ती कराया गया था, लेकिन गुरुदेव रवीन्द्रनाथ टैगोर ने उन्हें उसके दुराचरण के लिए बाहर कर दिया ! शान्ति निकेतन से बाहर निकाले जाने के बाद इंदिरा अकेली हो गई !
राजनीतिज्ञ के रूप में पिता राजनीति के साथ व्यस्त था, और मां तपेदिक से स्विट्जरलैंड में मर रही थी ! उनके इस अकेलेपन का फ़ायदा फ़िरोज़ खान नाम के व्यापारी ने उठाया ! फ़िरोज़ खान मोतीलाल नेहरु के घर पर महंगी विदेशी शराब की आपूर्ति किया करता था ! फ़िरोज़ खान और इंदिरा के बीच प्रेम सम्बन्ध स्थापित हो गए !
महाराष्ट्र के तत्कालीन राज्यपाल डा० श्री प्रकाश ने नेहरू को चेतावनी दी, कि फिरोज खान इंदिरा के साथ अवैध संबंध बना रहा था ! फिरोज खान इंग्लैंड में था और इंदिरा के प्रति उसकी बहुत सहानुभूति थी ! ज़ल्द ही वह अपने धर्म का त्याग कर, एक मुस्लिम महिला बनीं और लंदन के एक मस्जिद में फिरोज खान से उसकी शादी हो गयी ! इंदिरा प्रियदर्शिनी नेहरू ने नया नाम मैमुना बेगम रख लिया ! उसकी मां कमला नेहरू इस शादी से काफी नाराज़ थी, जिसके कारण उनकी तबियत और ज्यादा बिगड़ गयी . . .
नेहरू भी इस धर्म रूपांतरण से खुश नहीं थे, क्योंकि इससे इंदिरा के प्रधानमंत्री बनने की सम्भावना खतरे में आ जाती ! इसलिए नेहरू ने युवा फिरोज खान से कहा कि वह अपना उपनाम खान से गांधी कर लें, हालांकि इसका इस्लाम से हिंदू धर्म में परिवर्तन के साथ कोई लेना-देना नहीं था ! यह सिर्फ एक शपथ पत्र द्वारा नाम परिवर्तन का एक मामला था, और फिरोज खान फिरोज गांधी बन गये, हालांकि यह बिस्मिल्लाह शर्मा की तरह ही एक असंगत नाम है ! दोनों ने ही भारत की जनता को मूर्ख बनाने के लिए नाम बदला था ! जब वे भारत लौटे तो एक नकली वैदिक विवाह जनता के समक्ष स्थापित किया गया था !
इस प्रकार इंदिरा और उसके वंश को काल्पनिक नाम गांधी मिला ! नेहरू और गांधी दोनों फैंसी नाम हैं, जैसे एक गिरगिट अपना रंग बदलता है, वैसे ही इन लोगो ने अपनी असली पहचान छुपाने के लिए नाम बदले।
के.एन.राव की पुस्तक “नेहरू राजवंश”
(10:8186092005 ISBN) में यह स्पष्ट रूप से लिखा गया है, संजय गांधी फ़िरोज़ गांधी का पुत्र नहीं था, जिसकी पुष्टि के लिए उस पुस्तक में अनेक तथ्यों को सामने रखा गया है ! उसमें यह साफ़ तौर पर लिखा हुआ है, कि संजय गाँधी एक और मुस्लिम मोहम्मद यूनुस नामक सज्जन का बेटा था !
दिलचस्प बात यह है कि एक सिख लड़की मेनका का विवाह भी संजय गाँधी के साथ मोहम्मद यूनुस के घर में ही हुआ था। मोहम्मद यूनुस ही वह व्यक्ति था जो संजय गाँधी की विमान दुर्घटना के बाद सबसे ज्यादा रोया था।
यूनुस की पुस्तक”व्यक्ति जुनून और राजनीति” (persons passions and politics) (ISBN-10 : 0706910176) में साफ़ लिखा हुआ है कि संजय गाँधी के जन्म के बाद उनका खतना पूरे मुस्लिम रीति रिवाज़ के साथ किया गया था।
कैथरीन फ्रैंक की पुस्तक “The life of Indira Nehru Gandhi” (ISBN : 9780007259304) में इंदिरा गांधी के कुछ अन्य प्रेम संबंधो पर प्रकाश डाला गया है ! उसमें यह लिखा है कि इंदिरा का पहला प्यार शान्तिनिकेतन में जर्मन शिक्षक के साथ था ! बाद में वह एम. ओ. मथाई (पिता के सचिव), धीरेंद्र ब्रह्मचारी (उनके योग शिक्षक) और दिनेश सिंह (विदेश मंत्री) के साथ भी अपने प्रेम संबंधो के लिए प्रसिद्ध हुईं !
पूर्व विदेश मंत्री नटवर सिंह ने इंदिरा गांधी के मुगलो से संबंध के बारे में एक दिलचस्प रहस्योद्घाटन किया है, अपनी पुस्तक “Profiles and letters” (ISBN : 8129102358) में ! उसमें यह कहा गया है कि 1968 में इंदिरा गांधी भारत की प्रधानमंत्री के रूप में अफगानिस्तान की सरकारी यात्रा पर गयी थी ! नटवर सिंह एक आई एफ एस अधिकारी के रूप में इस दौरे पर गए थे ! दिन भर के कार्यक्रमों के समाप्त होने के बाद इंदिरा गांधी को शाम में सैर के लिए बाहर जाना था ! कार में एक लंबी दूरी जाने के बाद, इंदिरा गांधी बाबर की कब्रगाह के दर्शन करना चाहती थी, हालांकि यह इस यात्रा कार्यक्रम में शामिल नहीं किया गया था ! अफगान सुरक्षा अधिकारियों ने उनकी इस इच्छा पर आपत्ति जताई, पर इंदिरा अपनी ज़िद पर अड़ी रही और अंत में वह उस कब्रगाह पर गई जो एक सुनसान जगह थी ! वह बाबर की कब्र पर सर झुकाकर आँखें बंद करके खड़ी रही और नटवर सिंह उसके पीछे खड़े थे !
जब इंदिरा ने अपनी प्रार्थना समाप्त कर ली, तब वह मुड़कर नटवर से बोली, आज मैंने अपने इतिहास को ताज़ा कर लिया (“Today we have had our brush with history”) ! यहाँ आपको यह बता दें कि बाबर मुग़ल साम्राज्य का संस्थापक था, और नेहरु खानदान इसी मुग़ल साम्राज्य से उत्पन्न हुआ था !
इतने वर्षों से भारतीय जनता इसी धोखे में है कि नेहरु एक कश्मीरी पंडित था, जोकि सरासर गलत तथ्य है !
इस तरह इन नीचों ने भारत में अपनी जड़ें जमाई जो आज एक बहुत बड़े वृक्ष में परिवर्तित हो गया है, जिसकी महत्वाकांक्षी शाखाओं ने माँ भारती को आज बहुत ज़ख्मी कर दिया है ! अब देश के प्रति यदि आपकी कुछ भी ज़िम्मेदारी बनती हो, तो अब आप लोग ”निःशब्द” न रहें और उपरोक्त सच्चाई को सबको बताएं !
🚩 वन्दे मातरम् ! 🙏
सिर्फ सनातन हिंदू धर्म के लोग जुड़ते ही 20 लोगों को शेयर करें !
सच्चाई से देश को अवगत कराने की ज़िम्मेदारी हर हिन्दू भाई की है !
🚩 जय_श्रीराम 🙏
Do State Tax Payers Know How their Funds are Spent & Recorded by State Governments.
NO They Not Only Don’t Know & Worst They Don’t Care.
- After completing of 1 year I.e. 12 Months, the State Finance Dept. takes another 12-18 Months to record the Public Funds Revenue & Expenditure.
- Than CAG takes another 12-18 Months before they Audit & Submit their Audit Report to Assembly for presenting to Media & Public.
- CAG’S Job is done. CAG has No Control if State does not present the Audit Accounts & Report in Assembly for few years.
- Lacuna in Law. Only, when LG wrote to Delhi CM to present, a few years Old Audit Report in Assembly, CM did so. but did not allow the Opposition to Discuss or Question, the Gross Negligences Reported in Audit Report.
- Moreover, failed to put the Audit Report in Public Domain for several weeks.
- Now, How many months or rather years, the public Funds were collected. It can run into several years.
- Meanwhile, All Stake Holders have forgotten about the Money & damaging observations by Comptroller General.
- Worst, the State will continue to collect more Public Funds & spend them as they wish for next 5 years.
- This System encourages Scams. Misappropriation, Frauds running into mind boggling crore & crores of rupees.
- Years have rolled by. Everybody has Forgotten.
- If a Scam is exposed than the Investigating Agencies take few months or years to submit in Courts.
- Than the process of case being taken up with Higher Courts & if the Investigation Agency’s case was poor. than the Courts Let Go the Scoundrels to enjoy the I’ll gotten wealth with their children & grandchildrens.
- Even if they Goto Jail, they Get Bail & courts cases will drag on in their life times.
- Benefits of Democracy for Rascals & Swines.
The THIEVES”.
●-There Are Two Types Of
Thieves In Every
Society:-
- The Ordinary Thief (OT).
- The Political Thief (PT).
●-The Ordinary Thief Steals
Your:-
•-Money,
•-Bag.
•-Watch.
•-Gold Chain.
•-etc.
●-But, The Political Thief
Steals Your:-
•-Future.
•-Career.
•-Education.
•-Health.
•-Business.
●-The Most Hilarious Part
Is That The Ordinary
Thief Will Choose Whom
To Rob. But, You Yourself
Choose The Political
Thief To Rob You.
●-The Most Ironic Part Is
That The Police Will
Chase And Nab The
Ordinary Thief. But, The
Same Police Will Look
After And Protect The
Political Thief.
NOTE:-That Is The Travesty
And Irony Of Our
Current Society. And,
We Blindly Say That
We Are Not Blind.
●-The Most Stupid Part Of
The Whole Issue Is That
We Insult And Fight With The
Ordinary Thief But We
Fight Each Other For The
Political Thief
Take
It Or Leave
It. It's The Truth !
Good Day
एक धनी प्रधानमंत्री बन सकता है
ये नेहरू ने साबित किया।
एक गरीब प्रधानमंत्री बन सकता है
ये शास्त्री जी ने साबित किया.।
एक बुजुर्ग प्रधानमंत्री बन सकता है
ये मोरारजी ने साबित किया।
एक युवा प्रधानमंत्री बन सकता है
ये राजीव गांधी ने साबित किया।
एक औरत प्रधानमंत्री बन सकती है
ये इंदिरा गांधी ने साबित किया।
एक किसान प्रधानमंत्री बन सकता है
चौ. चरण सिंह ने साबित किया।
एक राजघराने का व्यक्ति प्रधानमंत्री हो सकता है
ये वी.पी. सिंह ने साबित किया।
एक शिक्षित एवं बहुआयामी व्यक्ति प्रधानमंत्री बन सकता है
ये पी.वी.नरसिंहा राव ने साबित किया।
एक कवि प्रधानमन्त्री बन सकता है
ये अटल बिहारी बाजपेयी ने साबित किया।
कोई भी प्रधानमंत्री बन सकता है
ये एच.डी.देवगौडा ने साबित किया।
एक प्रधानमंत्री की आवश्यकता ही नहीं है
ये डा. मनमोहन सिंह ने साबित किया।
देश पर बिना प्रधान मंत्री बने भी शासन किया जा सकता है
ये सोनिया गांधी ने साबित किया।
परन्तु एक चाय बेचने वाला प्रधानमंत्री बन सकता है और इन सबसे बेहतर कार्य कर सकता है तथा भारत माता का परचम पूरी दुनिया में लहरा सकता है ये
नरेन्द्र मोदी जी ने साबित किया।
सारी कायनात लगी है एक शख्स
को झुकाने में… भगवान भी सोचता होगा,
जाने किस मिटटी का इस्तेमाल किया मैंने “मोदी” को बनाने में!!
JARA SOCHO…
जो व्यक्ति
PM बनने के बाद
यदि
अमरीका को झुका सकता है,
भूखे नंगे देश
पाकिस्तान में
हडकंप
मचा सकता है,
चीन जैसे गद्दार देश के
अखबारों की
सुर्खियों में आ सकता है
तो भाई
वह भारत को विश्व गुरु
बना सकता है
यह बात पक्की है!
“देश की जरुरत है मोदी”!🙏🙏
कौन कहता है ईश्वर अल्लाह एक है🤔
ईश्वर -अल्लाह सब एक है ऐसा एक बुजुर्ग नें बताया था !
(ईश्वर अल्लाह तेरो नाम, सबको सन्मति दे भगवान।)
😀😀
मैने सोचा चलो इस बार तीर्थ यात्रा नही करते मक्का मदीना चलते है !
तीर्थ भी हो जायगा और घूम भी लेंगे !
मै रजिस्ट्रेशन करवाने गया !
मेरा नाम सुनकर ही विंडो वाला चौक गया !
बोला “भाई आप हज पर नही जा सकते!”
मैने_पूछा , क्यों भाई?
वो_बोला “ऐलाउ नही है !”
मै बोला ‘क्यों भाई ऐलाउ क्यों नही है?
मै हिंदू हूँ और ईश्वर अल्लाह तो एक है और सबके है !
वो_बोला “ऐसा किसने कहा ????”
मैने सीना चौड़ाकर कहा #बापू_ने
वो_बोला “आपका दिमाग खराब हो गया है क्या?
घूमने के लिये इतनी जगह पड़ी है और आप वहाँ जाना चाहते है जहाँ ऐलाउ नही है !
वहाँ केवल अल्लाह के बन्दे ही जा सकते है तुम तो काफिर हो !
तब से मैं बापू के चेलों को ढूंढ रहा हूं, जिन्होंने #मनगढ़तकहानियाँ बना बना कर जनता को बेवकूफ बनाया है और इसे #महात्माकानामदेकर, राष्ट्रपिता बना कर देश पर थोप दिया गया??
बीते दिनों बेटे का टूर्नामेंट था। आयोजन नोएडा के एक प्रतिष्ठित स्कूल में था।
हम दोनों बाप बेटा एक लंबी ड्राइव के बाद आयोजन स्थल पर पहुंचे।
स्कूल की चकाचौंध देखते ही बनती थी। बेटा बड़े गौर से इर्द गिर्द देख रहा था। वह महसूस कर रहा था की वह एक अजनबी जगह पर अजनबी लोगों के बीच आ गया है।
अंडर 13 ऐज ग्रुप में उसका पहला मैच उसी स्कूल के लड़के के साथ था। उसके चेहरे से झलक रहा था के उस नए माहौल में वह दबाव में है। नई जगह पर जा कर एडेप्ट होने में समय लगता है और 12 साल के बालक के लिये तो स्वयं को उन परिस्थितियों में एक दम से ढाल लेना मुश्किल था।
मैच शुरू हुआ और दबाव खेल पर झलकने लगा। विपक्षी हावी हो रहा था और उसके फेवर में दबा कर हूटिंग हो रही थी। बेटा मैच हार गया।
उस दिन लीग सिस्टम के हिसाब से कुल 4 मैच होने थे…… अभी 3 मैच शेष थे।
झल्लाहट और गुस्सा ऊसके चेहरे से टपक रहा था । झल्लाहट आंसुओं में तब्दील हो रही थी। मैं पास खड़ा था ……. और उसके शांत होने का इंतजार कर रहा था।
उसने घूंट भर पानी पिया, मैंने उसे सहलाया।
कुछ मिनट बाद मैंने उससे पूछा कि हार का क्या कारण रहा। कुछ समय वह निशब्द खड़ा रहा। फिर बोला …….” नया कोर्ट है….. कुछ समझ में नहीं आया।”
मैं उसके बताने से पहले ही समझ चुका था कि नई जगह और एक दम से एडेप्ट करने में उसे झिझक हो रही है।
हम देसी आदमी हैं। परिस्थिति विकट होती है….. तो श्रीराम याद आते हैं।
बातों-बातों में मुंह से निकल गया “लंका भी तो राम जी के लिये नई जगह थी? राम जी तो प्रेशर में ना आये। उलटा रावण को ही उसके होम ग्राउंड पर पछाड़ दिया। “
बेटे ने मेरी ओर देखा।
“……. और हिमालय…..जब बजरंग बलि हिमालय गए….संजीवनी लेने…. तो उनके लिये भी तो हिमालय नया कोर्ट था? नया ग्राउंड था? “
“वो तो भगवान थे….!” लड़के ने सुबकते हुए कहा।
“तो हम उनके भक्त हैं। ” अनायास ही मेरे मुंह से निकल गया।
अगले कुछ समय में हमने अगले 3 मैच के विषय पर चर्चा की।
पीठ ठोकने या तारीफ के लिये नहीं कह रहा…..
लेकिन अगले 3 मैच लड़के ने एकतरफा जीते। ना माथे पर शिकन….ना दिल में डर। निर्भीक …. निडर हो कर खेला। बिंदास होकर खेला। उस मैदान को उस कोर्ट को … अपना कोर्ट समझ कर खेला। उसकी जीत उसके खेल में नहीं थी…… वह समझ रहा था के वह संजीवनी खोजने निकला है और खाली हाथ वापिस नहीं आ सकता। उसकी जीत इस विचार में थी जो उसके मन मस्तिष्क में कौंध रहा था।
कौन कहता है राम केवल रामायण में हैं…… जीवन के हर कदम पर हर परिस्थिति में राम हमारा हाथ पकड़ कर चल रहे हैं।
हमारे साथ श्री रघुनाथ..फिर किस बात की चिंता।
शरण में रख दिया जब माथ…….फिर किस बात की चिंता ।।
सनातनियों, हम जीतेंगे।
😜😜😜😜🤨😝🤨😜😜😜😜
एक 80 वर्षीय आदमी चेक-अप के लिए,
डॉक्टर के पास गया !
डॉक्टर उसकी सेहत को देख कर हैरान हो गया !
डॉक्टर ने पूछा–
‘””तुम्हारी इतनी अच्छी सेहत का राज क्या है….?’
मरीज बोला–‘जी मै सूरज उगने से पहले उठता हूँ और साइकिलिंग करने निकल जाता हूँ फिर आकर वाइन के दो ग्लास पीता हूँ !
“शायद यही मेरी सेहत का राज़ है !”‘
डॉक्टर बोला– ‘””ठीक है, पर क्या मैं यह पूछ सकता हूँ कि तुम्हारे पिताजी की मृत्यु कितनी उम्र में हुई थी…?””‘
मरीज बोला– ‘”मेरे पिताजी की मृत्यु…?””
“आपको किसने कह दिया कि उनकी मृत्यु हो गई है”!’
डॉक्टर (हैरान होकर),
-‘ तुम्हारा मतलब है कि तुम 80 बरस के हो और तुम्हारे पिता अभी भी जिंदा हैं…?
तो उनकी क्या उम्र है, अभी….?’
मरीज बोला–‘”वे 102 साल के हैं और आज भी सुबह मेरे साथ साइकिल चलाने गए थे और फिर आकर दो ग्लास वाइन ली'”!
डाक्टर फिर बोला–‘”यह तो बहुत ही अच्छा है !
इसका मतलब है कि लम्बी आयु तुम्हारी फैमिली के जीन्स में है !
तो तुम्हारे दादा की उम्र कितनी थी, जब वो मरे….?”‘
मरीज बोला—‘”अब मेरे दादा को क्यों मार रहे हो …?'”
डॉक्टर (हैरान-परेशान होकर)–
‘”तुम्हारा मतलब है कि तुम 80 वर्ष के हो और तुम्हारे दादा भी अभी जीवित है बहुत खूब !
क्या उम्र है उनकी…..?'”
मरीज बोला—‘”जी, वे 123 बरस के हैं !”‘
डॉक्टर बोला—‘”मुझे लगता है कि उसने भी आज सुबह तुम्हारे साथ साइकल चलाई होगी और वाइन भी ली होगी…..?'”
मरीज बोला–‘”नहीं, दादा जी आज सुबह नहीं जा सके क्योंकि वह आज शादी कर रहे हैं !'”
डॉक्टर (पागल होने की कगार पर)–
‘”क्या कहा शादी …..?
“123 बरस उम्र में वह शादी क्यों करना चाहेंगे….?'”
मरीज बोला—‘”किसने कहा कि वह शादी करना चाहते हैं….?””
“”उन्हें तो जबरन करनी पड़ रही है !'”
–‘”मगर क्यों ??……..डॉक्टर चीख़ कर बोला !
मरीज बोला–”लड़की प्रेग्नेंट हो गई है, इसलिये !”‘
डाक्टर तबसे नियमित रूप से साइकिल चला रहा है और वाइन पी रहा है, क्लीनिक बंद पड़ी है !
! जिंदगी जिएं जी भर के !
!! रोज पिएं गिलास भर-भर के !!
🤪🤪🤪🤪🤪🤪🤪
Happy World Health Day 2024
Don’t know who has made it but really good
पता नहीं किस सज्जन की रचना है लेकिन बड़ी व्यंगात्मक भाषा में बहुतही बढ़िया लिखी है।
तुम मायावती सी निर्धन,
मैं राहुल सा समझदार प्रिये।
महाराष्ट्र के गठबंधन सा, है तेरा मेरा प्यार प्रिये।।
मैं आरएसएस का उग्रवाद,
तुम आईएसआई का शान्तरूप।
मैं मंदिर का कर्णकटु शंखनाद,
तुम अज़ान सी मधुर झंकार प्रिये।।
तुम व्हाट्सएप, मैं टेलीग्राम,
तुम नेट बैंकिंग, मैं मनीऑर्डर।
तुम बुलेट ट्रेन सी द्रुतगामी,
मैं खच्चर-ऊंट सवार प्रिये।।
सोनिया सी त्यागमूर्ति हो तुम,
मैं हूँ अटल सा पद-लोलुप।
मैं नाम का पीएम मनमोहन,
तुम ही असली सरकार प्रिये।।
तुम रेणुका की सी स्मित मंद,
और मैं स्मृति का अटृाहास।
तुम मर्यादित भाषा निरुपम की,
मैं आडवाणी वाचाल प्रिये।
तुम गगनचुम्बी पेट्रोल भाव,
मैं इंटरनेट सा सस्ता हूँ।
लेकिन हम दोनों से ही हैं,
इस दुनिया की रफ्तार प्रिये।।
तुम लालू जैसी पशुप्रेमी,
निर्दोष टूजी, सीजी बोफोर्स
तुम चिदम्बरम सी ईमानदार,
मुझसे लज्जित भ्रष्टाचार प्रिये।l
तुम सेकुलर कांग्रेस जैसी,
मैं साम्प्रदायिक बीजेपी सा।
तेरी काली करतूतों का,
मैं ढोता सर पर भार प्रिये।।
तुम दिग्विजय-थरूर चरित्रवान,
मैं योगी-मोदी सा पतित।
तुम औवेसी जैसी देशभक्त,
मैं द्रोही गुनहगार प्रिये।।
तुम मासूम हो पत्थरबाजों सी,
मैं तुझसे पिटता क्रूर सैनिक।
तू वोट बैंक का स्ट्रांग रूम,
मैं तेरे आगे लाचार प्रिये।।
तुम वेटिकन का लव लेटर,
तुम देवबंद का फतवा हो।
मैं खामोशी संत महंतों की,
और मिथ्या गीता सार प्रिये।।
मैं कश्मीरी पंडित अतिक्रमी,
तुम पीड़ित निरीह रोहिंग्या हो।
मैं रिफ्यूजी कैंप के हूँ काबिल,
तुम भारत की हकदार प्रिये।।
तुम भारत गौरव जिन्ना हो,
मैं भगतसिंह आतंकवादी।
भारत की आज़ादी के श्रेय पर,
है तेरा ही अधिकार प्रिये।
A ll the
B eloved
C itizens come and do your
D uty to
E nsure that your
F uture is in
G enuine and resposible
H ands which is so
I mportant.
J ust
K eep your
L ong leave plans aside and
M ake sure you will
N ot miss the
O pportunity of
P ressing the button
Q uietly thereby discharging your
R esponsibility. Also
S pread the message
T o the
U naware
V oters as to not
W aste their
X tremely important vote & do
Y our bit in building the future of this
Z ealous nation
Vote 🗳 and spread the importance of voting.💐💐https://techtunecentre.com/ & https://sarbeshkblog.blogspot.com